(BASANTI KAMRA) TIMING OPEN ONLY A YEAR THE OCCASION OF BIHAR PANCHAMI
Shahji temple also known as Tede Khambe wala Mandir due to its exquisite spiral pillars is located near Nidhivan. The temple’s real name is Lalit Nikunj. The temple has the deities of Radha and Krishna. The deities due to their small size are also called as chhote Radha Raman. On the east end of the temple courtyard, there is a large hall called as ‘Basanti Kamra’ (Durbar Hall) adorned with Belgian Glass chandeliers and exquisite paintings depicting the loving pastimes of Lord Radha-Krishna. This room is opened only twice a year during the occasion of Basant Panchami and also has fountains in its central part. Lalit Kishori and Lalit Mohini Sevya Thakur are present here. Samadhi of Shri Lalit Kishori is also located near the temple.
After moving to Vrindavan, Shri Lalit Kishori made a vow never to leave the holy land of Vrindavan, and his brother Lalit Mohini followed suit. He had so much love for the dust of Vrindavan that he found it impossible to even think of easing the call of nature upon it. So he used to pass urine and stool in pots made from Agra clay and have them couriered out of Braj for disposal.
Location:
Shahji temple is located near Nidhivan, Vrindavan.
Shahji Temple is a religious destination known for its unique architecture. Because of its spiral columns, it has earned the nickname “Tedhe Khambe Wala Mandir” (the temple with spiral columns). Another striking feature of the temple is the Basanti Kamra hall. It has Belgian glass chandeliers and paintings depicting stories from the life of Lord Krishna.
The presiding deity of the Shahji Temple in Vrindavan is Radha-Krishna. He is lovingly called Chhote Radha-Raman.
शाहजी मंदिर, इसके अति सुंदर टेड़े स्तंभ है, जिसे टेड़े खंबे वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है जो निधिवन के पास स्थित है। मंदिर का असली नाम ललित निकुंज है। मंदिर में राधा और कृष्ण की मूर्ति हैं। उनके छोटे आकार के कारण उन्हें छोटा राधा रमण भी कहा जाता है। मंदिर प्रांगण के पूर्व छोर पर, एक बड़ा हॉल है जिसे बसंती कमरा (दरबार हॉल) कहा जाता है जो बेल्जियम ग्लास के झूमर और अति सुंदर चित्रों से सुशोभित है जो भगवान राधा-कृष्ण के प्रेमपूर्ण अतीत को दर्शाता है। यह कमरा बसंत पंचमी के अवसर पर वर्ष में केवल दो बार खोला जाता है और इसके मध्य भाग में फव्वारे भी हैं। ललित किशोरी और ललित मोहिनी ठाकुर जी के सेवक यहां मौजूद हैं। मंदिर के पास श्री ललित किशोरी की समाधि भी स्थित है।
वृंदावन जाने के बाद, श्री ललित किशोरी ने वृंदावन की पवित्र भूमि को कभी नहीं छोड़ने का संकल्प लिया, और उनके भाई ललित मोहिनी ने भी इसका पालन किया। उन्हें वृंदावन की रज से इतना लगाव था कि उन्होंने प्रकृति के आह्वान को सहजता से सोचा भी नहीं था। इसलिए उन्होंने आगरा की मिट्टी से बने बर्तनों में मूत्र और मल किया और उन्हें ब्रज से बाहर फेंक दिया जाता था ।
स्थान:
शाहजी मंदिर निधिवन, वृन्दावन के पास है।
Shahji Temple architecture differs from the usual Hindu temple style. It is built with high-quality white Italian marble, in a mix of Greek, Mughal and Hindu style. The spacious terraces are supported by 12 beautiful spiral columns, each cut out of one marble piece.
The Basanti Kamra (Durbar Hall of the deity) , too, is impressive. It is also known as the yellow room, because of its yellow decor. The ceilings and interiors have colourful paintings depicting stories from Raas-Leela and different events from the life of Lord Krishna.
शाहजी मंदिर की वास्तुकला सामान्य हिंदू मंदिर शैली से भिन्न है। यह ग्रीक, मुगल और हिंदू शैली के मिश्रण में उच्च गुणवत्ता वाले सफेद इतालवी संगमरमर से बनाया गया है। विशाल छतों को 12 सुंदर सर्पिल स्तंभों द्वारा समर्थित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक को एक संगमरमर के टुकड़े से काटा गया है।
बसंती कमरा (देवता का दरबार हॉल) भी प्रभावशाली है। इसकी पीली सजावट के कारण इसे पीला कमरा भी कहा जाता है। छत और आंतरिक भाग में रास-लीला की कहानियों और भगवान कृष्ण के जीवन की विभिन्न घटनाओं को दर्शाने वाली रंगीन पेंटिंग हैं।
ग्रीष्मकाल
प्रातः काल : 07:00 प्रातः से 12:30 दोपहर
संध्याकाल : 04:30 दोपहर से 09:00 रात्रि
शीतकाल
प्रातः काल : 08:30 प्रातः से 12:00 दोपहर
संध्याकाल आरती : 05:00 दोपहर से 09:00 रात्रि
Vrindavan is considered a significant place for spiritual seekers, offering them an opportunity to connect with the divine and experience the devotion and love associated with Lord Krishna and Radha.