According to the legends, Garuda had abandoned the entry of the poisonous Kaliya Naag in the Pacific Ocean. Due to this, he settled in the pious Yamuna river, to find solace from the atrocities of Garuda. His poison was polluting the river which was harming the people of Vrindavan. Shri Krishna with an intention to save his loved one’s ordered Kaliya naag to leave the Yamuna. When the poisonous snake did not follow his orders, Lord Krishna fiercely fought with him. This fight ended with the Lord dancing on the serpent’s venomous head. With every step Lord Krishna danced on the serpents head, his pride and self-image were vanishing. At the end when the serpent became selfless, lord Krishna guided him towards the ocean assuring him that Garuda won’t trouble him due the feet of Lord embarked on his head. Kaliya Dah Vrindavan is that place where Krishna wheedled out all the anguish from Kaliya Naag.
Vrindavan is the land where, Lord Krishna performed many playful acts. Also known as the Leela Sthali of the Lord, this place has witnessed the adorable childhood of the lord that seem to appeal the devotees even today. One such place that entices pilgrims is the Kaliya Ghat. Also known as the Kaliya Dahan ghat this is the place which saw the Lord Krishna dancing on the tunes of love for his devotees. Kaliya Ghat in Vrindavan is amongst the many places in the city which let you feel the feats of Lord himself and Brijwale helps you enjoy every bit of it!
Kaliya Dahan is the place where lord Krishna subdues the negative energy of an individual. According to the legends, Lord blesses only those who are self-less and not shackled in self- esteem. Kaliya Dah in Vrindavan is the place where you leave your self-image and submit yourself in the lord’s feet. An ultimate place to visit in Vrindavan, this pious place is the epitome of the Lord Krishna’s way of protecting his loved one’s without harming anyone. In this place, Krishna in his childhood hauled out all the anguish and self-image of a poisonous serpent Kaliya Naag.
कालीय दह, वृंदावन
कालीय दह-इसका वर्तमान नाम कालीय दह है। श्रीकृष्णने कालिया नाग यहीं दमन किया था पासमें ही केलि-कदम्ब है, जिसपर चढ़कर श्रीकृष्ण कालीय हृदय में बड़े वेग से कूदे थे। कालिया नाग के विष से आस-पास के वृक्ष-लता सभी जलकर भस्म हो गये थे। केवल यही एक केलि-कदम्ब बच गया था। इसका कारण यह है कि महापराक्रमी गरुड़ अपनी माता विनता को अपनी विमाता कद्रू के दासीपन से मुक्त कराने के लिए देवलोक से अमृतका कलश लेकर इस केलि-कदम्ब के ऊपर कुछ देर के लिए बैठे थे। उसके गंध या छींटे के प्रभाव से यह केलिकदम्ब बचा रहा था।
कालिया नाग भी बड़ा पराक्रमी था। जब उसने कृष्ण को अपने फेंटेमें बांध लिया, उस समय कृष्ण कुछ असहाय एवं निश्चेष्ट हो गये। उस समय नागपत्नियाँ, जो कृष्ण की परम भक्त थीं, प्रार्थना करने लगीं कि भगवद् विरोधी पति की स्त्री होने के बदले हम विधवा होना ही अधिक पसन्द करती हैं। किन्त, ज्योंही कृष्ण नागके फेंटेसे निकलकर उसके मस्तकपर पदाघात करते हुए नृत्य करने लगे, उस समय कालीय अपने सहस्रों मखोंसे रक्त उगलते हुए भगवान के शरणागत हो गया । उस समय नाग पत्नियां उसके शरणागत भाव से अवगत होकर, हाथ जोड़कर कृष्ण से उसे जीवन-दान के लिए प्रार्थना करने लगीं। श्री कृष्ण ने उनकी स्तव-स्तुतिसे प्रसन्न होकर कालीय नागको अभय प्रदान कर सपरिवार रमणक द्वीपमें जानेके लिए आदेश दिया तथा उसे अभय देते हुए बोले-अब तुम्हें गरुड़ का भय नहीं रहेगा।
वे तुम्हारे फणों पर मेरे चरणचिह्नको देखकर तुम्हारे प्रति शत्रुता भूल जायेंगे। नाग-पत्नियों ने यह प्रार्थना की थी
हे देव! आपके जिस पदरजकी प्राप्तिके लिए श्री लक्ष्मीदेवी ने अपनी सारी अन्य अभिलाषाओंको छोड़कर चिरकाल तक व्रत धारण करती हुई तपस्या की थी, किन्तु वे विफल-मनोरथ हुई, उसी दुर्लभ चरणरेणुको कालीय नाग न जाने किस पुण्यके प्रभावसे प्राप्त करनेका अधिकारी हुआ है ।
The story behind Kaliya Ghat: According to the legends, Garuda had abandoned the entry of the poisonous Kaliya Naag in the Pacific Ocean. Due to this, he settled in the pious Yamuna river, to find solace from the atrocities of Garuda. His poison was polluting the river which was harming the people of Vrindavan. Shri Krishna with an intention to save his loved one’s ordered Kaliya Naag to leave the Yamuna. When the poisonous snake did not follow his orders, Lord Krishna fiercely fought with him. This fight ended with the Lord dancing on the serpent’s venomous head. With every step Lord Krishna danced on the serpents head, his pride and self-image were vanishing. At the end when the serpent became selfless, lord Krishna guided him towards the ocean assuring him that Garuda won’t trouble him due the feet of Lord embarked on his head. Kaliya Dah .
कालिया घाट के पीछे की कहानी: किंवदंतियों के अनुसार, गरुड़ ने प्रशांत महासागर में जहरीले कालिया नाग के प्रवेश को त्याग दिया था। इसके कारण, वह गरुड़ के अत्याचारों से राहत पाने के लिए पवित्र यमुना नदी में बस गए। उसका जहर नदी को प्रदूषित कर रहा था जिससे वृन्दावन के लोगों को नुकसान हो रहा था। श्रीकृष्ण ने अपने प्रियजन को बचाने के इरादे से कालिया नाग को यमुना छोड़ने का आदेश दिया। जब विषैले सर्प ने उनकी आज्ञा का पालन नहीं किया तो भगवान कृष्ण ने उससे जमकर युद्ध किया। यह लड़ाई भगवान द्वारा सर्प के विषैले सिर पर नृत्य करने के साथ समाप्त हुई। हर कदम के साथ भगवान कृष्ण नागों के सिर पर नृत्य कर रहे थे, उनका गर्व और आत्म-छवि गायब हो रही थी। अंत में जब नाग निःस्वार्थ हो गया, तो भगवान कृष्ण ने उसे यह आश्वासन देते हुए समुद्र की ओर ले गए कि भगवान के चरण उसके सिर पर आने के कारण गरुड़ उसे परेशान नहीं करेगा। कालिया दह
Nidhivan Temple Timings Vrindavan
ग्रीष्मकाल
प्रातः काल : 05:00 प्रातः से 08:00 रात्रि
शीतकाल
प्रातः काल : 06:00 प्रातः से 07:00 रात्रि
Vrindavan is considered a significant place for spiritual seekers, offering them an opportunity to connect with the divine and experience the devotion and love associated with Lord Krishna and Radha.