MORNING: 6AM TO 12pm
EVENING :4:30pm to 7:45pm
Meera bai came to Vrindavan in Year 1524 in search of Lord Krishna and His memories. She lived in Vrindavan here from 1524 to 1539. After that, she left Vrindavan and went to Dwarika to stay there until her death (Year 1550). Mirabai considers Lord Krishn as her husband. Although Rasik Saints of Vrindavan, recommends Yugal Upasna (Radha Krishn together), in the mood of Sehchari Bhava or Sakhi friend of Radharani, and Radharani is considered the very life of Rasik Saints in Vrindavan (This nectar bliss is considered to be the topmost). However, In Dwarika, Shri Krishn is worshipped as a husband.
मीराबाई भगवान श्री कृष्ण और उनकी खोज में साल 1524 में वृंदावन आयी थी। वह वृंदावन में 1524 से 1539 तक रही थीं। उसके बाद, उन्होंने वृंदावन छोड़ दिया और अपनी मृत्यु तक (वर्ष 1550) द्वारका में ही रही। मीराबाई भगवान श्री कृष्ण को अपने पति के रूप में मानती थीं। जबकि वृंदावन के रसिक संत, सहचरी भाव या श्री राधा रानी की सखी भाव में युगल उपसना (राधा कृष्ण एक साथ) के रूप में आदेश किये हैं जिसका रस निकुंज रस है और सर्वोत्तम है और श्री राधा रानी को वृन्दावन में रसिक संतों का जीवन माना जाता है। और द्वारिका में, श्री कृष्ण को पति के रूप में पूजा की जाता है जो वृन्दावन के रसिकों को नहीं सुहाता।
Nidhivan Temple Timings Vrindavan
ग्रीष्मकाल
प्रातः काल : 05:00 प्रातः से 08:00 रात्रि
शीतकाल
प्रातः काल : 06:00 प्रातः से 07:00 रात्रि
Vrindavan is considered a significant place for spiritual seekers, offering them an opportunity to connect with the divine and experience the devotion and love associated with Lord Krishna and Radha.